ssnews डिजिटल चोरों का बल्ले बल्ले, सरकारी हो या निजी सब करा लेते हैं अपने नाम पर ईजी, चाहे कोई भी हो राजस्व विभाग में इनके काले कारनामे को नही पकड़ पाते कोई अधिकारी,,,,,

ग्रामीण क्षेत्र के शासकीय भूमि पर शहरी माफियाओं का कब्जा,
00 भनेशर की 110/3 घास जमीन पर कई वषो से ग्रामीण घर बना कर रह रहे हैं जिस जमीन को जयरामनगर की है कहकर अब जमीन चोर अपना बात रहे हैं ग्रामीणों ने लगाया है  आरोप की जबरजस्ती घास जमीन को अपना बता रहे हैं सरकारी रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर ।
00ग्रामीणों ने कहा कि जब घर बना रहे थे तो उस समय क्यो मना नही किया आखिर इतनो दिनों से कहा थे जो लोग आज बोल रहे हैं कि हमारा है ।

00  कंफ्यूज है राजस्व विभाग कि वह जमीन भनेशर की है कि जयरामनगर की क्योकि जिस रिकार्ड को देखकर कब्जा दिलवाया है उस रिकॉर्ड में जयरामनगर बताया जा रहा है उस जमीन  का जबकि ग्रामीणों ने बताया है कि वह भनेशर की जमीन है और जिस जमीन पर कब्जा है वह जमीन सरकारी भी है 
00  ग्रामीणों ने बताया कि उन लोगों को मस्तूरी तहसीलदार से भी कब्जा हटाने का कई बार नोटिस भी मिला है जिसमें भनेशर लिखा हुआ है तो फिर आज यह कैसा  भूमाफिया का माया की कुछ वर्ष के बाद वह जमीन अब जयरामनगर का हो गया।
00राजस्व विभाग वर्तमान समय में पूर्व की कब्जा नोटिस को  आखिर क्यो मानने को तैयार नहीं है क्या जिस अधिकारी ने नोटिस दिया था वह क्या गलत तरीके से जारी किया गया था यह तो नही है की  फर्जीवाड़ा तारिक से नोटिस जारी किया  हो कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है विभाग के अधिकारी ग्रामीणों ने लगाया आरोप ।
00फोर लेन रोड में भी कई घास जमीन का भी खरीदी ब्रिकी हो चुका है जिसकी शिकायत दर्ज कराया जा चुका है फिर भी क्या कारण है कि राजस्व विभाग इन भूमाफिया से डरते क्यो  कार्यवाही करने पर ।


स्वराज संदेश मस्तूरी -थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत भनेसर (जयरामनगर) के सरकारी जमीन पर शहरी भूमाफियाओं की नजर पड़ने से वहाँ वर्षो से कब्जा कर निवासरत ग्रामीणों को निजी जमीन बताकर उक्त भूमि से खड़ेने लगातार बना रहे दबाव


मिली जानकारी के अनुसार जयरामनगर रेलवे फाटक के आगे भिलाई रोड में स्थित 110/1,2,3,4 नंबर की सभी भूमि सरकारी रिकॉर्ड में ऑनलाइन शासकीय भूमि प्रदर्शित हो रही है। वही उक्त भूमि पर भनेसर के कुछ ग्रामीण 20,30 वर्षो से बेजाकब्जाकर निवासरत है।कुछ ग्रामीण उस भूमि में पक्का का मकान बना अपना जीवन यापन भी कर रहे है।शासन दुवारा उक्त भूमि को शासकीय भूमि बताकर बेजाकब्जा धरियो से वर्षों से लगातार पेशी के ऊपर पेशी भी लिया जा रहा है। बाकायदा एक कब्जाधारी को 1995 का शासन दुवारा पट्टा भी जारी कर दिया गया है।
20,30 वर्ष उक्त भूमि में गुजर बसर करने के बाद कुछ शहरी भूमाफियाओं के दुवारा उक्त जमीन को निजी भूमि बताकर इतने वर्षों से गुजारा कर रहे ग्रामीणों को धमकी चमकी लगाकर उस भूमि से बेदखल करने का प्रयास किया जा रहा है।जिससे उस भूमि पर निवास कर रहे ग्रामीणों की रहने रोजगार की समस्या आन पड़ी है।
ग्रामीणों ने बताया कि जब 30 वर्ष पहले इस जमीन में छोटी सी झोपड़ी बना निवास कर रहे थे तब उसे रोकने कोई नही आया अब
उसके बाद परिवार बढ़ने के बाद पक्के का मकान बना लिया जिसमे सामने शटर दरवाज खोल ऑटो सेंटर का दुकान खोल लिया तब हल्का नम्बर 22 के पटवारी दुवारा 2015 में खसरा नम्बर 110/1 उक्त जमीन में किये अवैध पक्के की मकान निर्माण के एवज में शासन के अनुरूप अर्थदंड के रूप में तहसील मस्तूरी में 10000 हजार की अर्थदंड किया गया जिससे उक्त भूमि कब्जाधारी नत्थूराम पिता भुखाऊ ने उस अर्थदंड को शासन के दिये गए समय मे पटाया भी लेकिन कुछ दिनों से बिलासपुर से कुछ जमीन माफियाओ की नजर उस जमीन पर पड़ी है।जिससे निजी जमीन बताकर उक्त कब्जाधारियों को भगाने धमकी का सहारा लेकर डरा धमका रहे है।वहा निवासरत ग्रामीणों ने शासन के नियम अनुरूप उस जमीन की पट्टे की मांग कर रहे है वही उस भूमि से बेदखल न करने की अपील कर रहे है।

जब इस मामले में
मस्तूरी तहसीलदार अतुल वैष्णव से बात किया गया तो बताया कि दोनो पक्षो की बात सुनकर ही कार्यवाही किया गया पीड़ित पक्ष के पास  जवाब प्रस्तुत करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है जबकि दूसरे पक्ष के पास रजिस्ट्री पेपर और संपूर्ण कालजात पेश किया जिसके आधार पर ही या करवाई किया गया।


ग्रामीणों की बात कई वर्षों से घर बनाकर निवास कर रहे हैं उस जमीन पर  जिसे फर्जीवाड़े तरीके से कुटरचना कर जमीन पर कब्जा कर रहे हैं भू माफिया आखिर कब  मिलेगा न्याय  भूमाफिया से ग्रामीणों को।
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