ssnewsमिठाई का डिब्बा खा गए आपस में बाट कर, जब मामला सामने आया तो अधिकारी अपना उल्लू सीधा करने लिए दूसरे पर मढ़ रहे दोष,,,

2 महीने से अनुपस्थित 4 शिक्षकों से  बीईओ द्वारा पैसा लेकर पेमेंट बनाने का मामला आया सामने।
स्वराज संदेश मस्तूरी । शिक्षा का ज्ञान बांटने वालों शिक्षकों में ही आए दिन भ्रष्टाचारी और कमीशन खोरी जैसे बात सामने आ रही है। शिक्षा विभाग मस्तूरी में कमीशन खोरी और अपने कार्य में लापरवाही बरतने वाले  शिक्षकों की एक लंबी सूची तैयार हुई है।मस्तूरी क्षेत्र में शिक्षक तो शिक्षक यहां तो खुद शिक्षकों के जवाबदार पोस्ट पर बैठे विकास खंड शिक्षा अधिकारी ही करप्ट , भ्रष्टाचार , कमीशन खोरी में लिप्त है। जिसकी चर्चाएं अब शिक्षा विभाग के साथ-साथ लोग बाग में चर्चा का विषय बना रहता है। ऐसे ही एक ताजा मामला सामने आया है। ग्राम पंचायत आंकडीह के प्राथमिक शाला स्कूल में पदस्थ पदमा श्रीवास ,नवीन साहू, ममता, और दुर्गेश्वरी साहू इन चारों शिक्षक माह जून-जुलाई में 2 महीने से अनुपस्थित थे इन लोगों की अनुपस्थिति होने के कारण ग्राम पंचायत के कई छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधेरे में होते देख ग्राम पंचायत सरपंच लोकेश्वर सिंह पटेल ने स्कूल के निरीक्षण के दौरान इन चारों शिक्षकों के उपस्थिति पंजी में 2 माह का वेतन रोकने के लिए कार्यवाही की थी। क्योंकि इन चारों शिक्षकों ने नहीं अनफिट और फिट दोनों मेडिकल पत्र जमा नहीं किया था उसके बावजूद दो 2 महीने से लगातार शाला में अनुपस्थिति होने के कारण उसका प्रभाव ग्राम पंचायत के छात्र-छात्राओं में दिख रहा था जिसके कारण ग्राम पंचायत सरपंच ने उचित कदम उठाया था जिसे विकास खंड शिक्षा अधिकारी को भी अवगत कराया गया था। लेकिन कमीशन खोरी में लिप्त शिक्षा विभाग ने एक महीने बाद ग्राम पंचायत सरपंच के आपत्ति को दरकिनार करते हुए पंचायती राज अधिनियम की परवाह न करते हुए प्राथमिक शाला आंकडीह के प्रधान पाठक, संकुल समन्वयक, डीईओ कार्यालय की रीडर, और स्वयं विकास खंड शिक्षा अधिकारी इन सभी ने मिलीभगत कर चारों शिक्षकों से तीन तीन हजार रूपए लेकर शासन के नियमों को ताक में रखते हुए चारों शिक्षकों का वेतन जून-जुलाई माह का बना दिया और बकायदा चारों शिक्षकों के खाते में तनखा आ भी गई और आहरण भी हो गया। ऐसे में पंचायती राज के बड़े-बड़े नियम और कानूनों का उल्लंघन खूब उड़ाया जा रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि शिक्षकों की तनख्वाह ग्राम पंचायत सरपंच के हस्ताक्षर से ही मिलता है, तो क्या उनकी गलतियों पर ग्राम पंचायत सरपंच उन लोगों का तनखा रुकवा भी नहीं सकता। इस मामले में जनपद पंचायत मस्तूरी में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के नाम शिकायत हुई है। अब देखना यह है कि इस विषय पर करवाही होती है या फिर कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होगी।

*जवाबदार लोग सिर्फ अपनी जवाबदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं*


मस्तूरी विकासखंड शिक्षा अधिकारी अश्वनी भारद्वाज का इस विषय में कहना है कि बाबू ने सभी कार्य किए हैं मैंने सिर्फ दस्तखत किए हैं वेतन रोकने वाली जैसी बात मुझे ज्ञात नहीं था। परंतु सारा खेल बीईओ के कहने पर होता है


इस संबंध में रीडर  का कहना है कि हम लोग सिर्फ नाम के ही बाबू हैं सभी कार्य स्वयं विकास खंड शिक्षा अधिकारी ही देखते हैं हमने उनके सामने कागजात प्रस्तुत किए थे उनके कहने पर बाकी वेतन रोकना या फिर बनाना उनके हाथ में है।

मस्तूरी जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी कुमार सिंह लहरे का कहना है कि शिकायत प्राप्त हुए हैं।उसके आधार पर जांच करवाया जाएगा।
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