ssnewsसफलता की कहानी गौठानों में महिलायें अब स्वच्छता अभियान से भी जुड़ी, हर महीने हो रही अतिरिक्त आय,,,

सफलता की कहानी
गौठानों की महिलायें अब स्वच्छता अभियान से भी जुड़ी, हर महीने हो रही अतिरिक्त आय
 स्वराज संदेश बिलासपुर।गौठान में महिलाओं के परिश्रम को देखकर नगर-निगम ने उन्हें स्वच्छता अभियान से जोड़कर अतिरिक्त आय का जरिया प्रदान किया है। 
 नगर निगम बिलासपुर क्षेत्र के अंतर्गत मोपका में नरवा-गरुवा-घुरवा-बारी योजना के तहत शहरी गौठान संचालित किया जा रहा है। इस गौठान में गोधन न्याय योजना के तहत 3 महिला स्व-सहायता समूहों की 30 महिलायें वर्मी खाद बना रही हैं, साथ ही गोबर से अन्य सामग्री का निर्मित कर रही हैं। उन्हें वर्मी खाद की बिक्री से अब तक सवा लाख रुपये का लाभांश मिल चुका है। गौ-काष्ठ व गोबर के अन्य उत्पाद की बिक्री कर भी वे लाभ अर्जित करती हैं।
 उनके इस परिश्रम और लगन को देखते हुए नगर-निगम बिलासपुर ने अब इन्हें स्वच्छ भारत मिशन के स्वच्छता अभियान से जोड़ा है। मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गौठानों में काम करने वाली महिलाओं को अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने के लिये यह पहल की गई है। 
 मोपका गौठान में कार्यरत स्व-सहायता समूह की नौ महिलाओं को नगर-निगम ने निःशुल्क ट्राइसाइकिल प्रदान की है। इन वाहनों से वे वार्ड क्रमांक 47 में घर-घर जाकर कचरा संग्रहण कर रही हैं। एक ट्राइसाइकिल से 150 घरों का कचरा संग्रहण किया जाता है। हर महिला 1 किलोमीटर के दायरे में भ्रमण करती हैं। स्व-सहायता समूह की माधुरी, शिवकुमारी, जनकनंदिनी, माया धुरी, कांति धुरी, शांति धुरी, नीमा दास, रामेश्वरी धुरी और सती धुरी अपने इस नये कार्य को उत्साह के साथ कर रही हैं। उन्होंने बताया कि वे गौठान में पहले से ही विभिन्न आर्थिक गतिविधियों से जुड़ी हुई हैं। अब इस अतिरिक्त कार्य से उनकी आमदनी बढ़ गई है। नगर-निगम द्वारा प्रत्येक महिला को इस कार्य के लिये 6 हजार रुपये पारिश्रमिक दिया जा रहा है।
 अब इनकी व्यस्त दिनचर्या है। वे रात को तीन बजे उठती हैं और सुबह 7 बजे तक घरेलू कार्य को निपटाती हैं, फिर गौठान पहुंचती हैं। वहां से सुबह 8 बजे ट्राइसाइकिल लेकर कचरा संग्रहण के लिये निकल पड़ती हैं। दोपहर 1 बजे तक कचरा संग्रहण कर फिर गौठान लौटती हैं और फिर गौठान में दोपहर 2.30 बजे तक वर्मी खाद बनाने का काम करती हैं। 
 इन महिलाओं ने कहा कि वे पहले रोजी-मजदूरी के लिये भटकती थीं। अब खुशी है कि वे अपने घर में ही रहकर, सुविधाजनक समय पर कार्य कर पारिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा है।
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