ssnews गिरौदपुरी समीप महकोनी / बलौदाबाजार घटना की, न्यायिक जांच आयोग में ,राज्य विरुद्ध लखन सुबोध [GSS प्रमुख] बना ,एकमात्र अनावेदक पक्षकार । GSS द्वारा आयोग को विस्तृत जानकारी का शपथ पत्र प्रस्तुत किया,,,
*गिरौदपुरी समीप महकोनी / बलौदाबाजार कांड की, न्यायिक जांच आयोग में ,राज्य विरुद्ध लखन सुबोध [GSS प्रमुख] बना ,एकमात्र अनावेदक पक्षकार । GSS द्वारा आयोग को विस्तृत जानकारी का शपथ पत्र प्रस्तुत किया।*
माननीय जस्टिस *वाजपेयी न्यायिक जांच आयोग* द्वारा निम्न 6 बिंदुओं:–
स्वराज संदेश रायपुर।*1.* दिनांक 15-05-2024 व 16-05-2024 के मध्यरात्रि को जिला बलौदाबाजार-भाटापारा अंतर्गत ग्राम महकोनी, अमरगुफा में स्थित जैतखाम को क्षतिग्रस्त किए जाने संबंधी घटना कैसे घटित हुई ।
*2.* वह कौन सी परिस्थितियों थी अथवा कौन से कारण थे, जिनके फलस्वरूप घटना घटित हुई।
*3.* उक्त घटना हेतु कौन-कौन व्यक्ति जिम्मेदार हैं।
*4.* घटना के पूर्व, घटना के दौरान एवं घटना के उपरांत ऐसे अन्य मुद्दे, जो घटना से संबंधित हो।
*5.* भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो. इस हेतु सुरक्षा एवं प्रशासकीय कदम उठाये जाने के संबंध में सुझाव एवं उपाय ।
*6.* अन्य ऐसे महत्वपूर्ण बिन्दु जो जांच आयोग शासन के संज्ञान में लाना चाहे।
पर जांच करने, आम जनता व जन संगठनों से *शपथ पत्र पर जो जानकारी मांगी* गई थी, उस पर एकमात्र *गुरुघासीदास सेवादार संघ (GSS) प्रमुख लखन सुबोध* ने विस्तार से इन बिंदुओं पर शपथ पत्र प्रस्तुत किया है।
आयोग द्वारा 2–2 बार शपथ पत्र प्रस्तुत करने की तारीख बढ़ाने के बाद भी *GSS को छोड़कर* कोई भी सामने नहीं आया।
पिछली पेशियों में जो सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि, जब GSS ने माननीय आयोग से यह लिखित आवेदन दिया कि, लखन सुबोध द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र में वर्णित तथ्यों की पुष्टि के लिए *विभिन्न सामाजिक–राजनैतिक 23 व्यक्तियों* को आयोग के समक्ष बुलाने समंस जारी किया जाय।
तब आयोग ने लखन सुबोध को कहा कि, यदि आप *आयोग के समक्ष पक्षकार* बनेंगे, तभी हम इस पर विचार करेंगे।
इस पर लखन सुबोध ने तुरंत पक्षकार बनने का आवेदन आयोग के समक्ष लगाया। जिसे आयोग ने *स्वीकार कर लिया* और आदेश दिया कि लखन सुबोध इन *23 लोगों* में से, जिन–जिन लोगों को अपने पक्षकारी में *बतौर गवाह* प्रस्तुत करना चाहता है , वह प्रस्तुत करें। इनसे शेष लोगों को *आयोग द्वारा समंस* देने पर विचार किया जाएगा।
GSS द्वारा 23 लोगों में से *कुल 4 लोगों का शपथ पत्र* बनवा लिया है। जिसे अगली पेशी (06.11.2024 को) में आयोग को प्रस्तुत करेगा।
GSS ने आयोग को यह भी आवेदन किया है कि, *राज्य सरकार* द्वारा इस मामले में उनके द्वारा किए गए काम संबंधी *कागजात हमें दी जाय*। जिसे स्वीकारते हुए माननीय आयोग ने राज्य सरकार को तत संबंधी *कागजात पेश करने का आदेश* शासकीय अधिवक्ता को दिया।
GSS की ओर से *अधिवक्ता दिवेश कुमार* [पूर्व में नागपुर एवम् मुंबई हाईकोर्ट में प्रेक्टिस कर चूके एवम् वर्तमान में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर में प्रेक्टिस कर रहे, ] है।
आगे की कार्यवाहियों पर सभी आम व खास लोगों की नजरें लगी हुई है।GSS चाहता है कि, पूरे मामले पर *दूध का दूध और पानी का पानी* हो।
GSS को कुछ लोगों की ओर से अप्रत्यक्ष रूप से यह *ज्ञान पेलते* नज़र आए कि , यह सब आयोग–अदालतें बेकार है।इससे क्या होगा।
हमारा कहना है कि, लोकतांत्रिक व्यवस्था में अदालतें /आयोग *न्याय पाने का मंच* है। इनके प्रक्रिया निर्णय से हम संतुष्ट–असंतुष्ट हो सकते हैं। लेकिन पहले उस प्रक्रिया में जायेंगे, तभी तो यह होगा। क्या वर्तमान में जो लोग अदालत जाते हैं और ये ज्ञान बघारुओं में जो वकालत करते हैं, वे क्या *वकालत करना छोड़* देंगे।
आंबेडकर का नाम लेकर नेतागिरी करने वाले लोग यह बताएं कि *डा. आंबेडकर ने साइमन आयोग–गोलमेज कांफ्रेंस* आदि में क्यों गए और वे स्वयं अदालतों में *वकालत क्यों* करते थे।
दरअसल ऐसे ज्ञान बघारू लोग लोकतांत्रिक *न्यायिक प्रक्रिया से डरते* हैं, क्योंकि यहां तर्क–वितर्क, *बहस –निर्णय* होता है और ये लोग यह सब नहीं करके, सिर्फ लोगों को अपने स्वार्थ के लिए , लोगों को *भड़काकर–उपद्रव* करके राजनिति चमकाना चाहते हैं।
इसलिए GSS के इन प्रयासों का ये *दोगले लोग* विरोध करके सिर्फ *दांत निपोरी* करते हैं।
GSS इन मुद्दों पर आवश्यतानुसार अपील दर अपील *सुप्रीम कोर्ट तक* जानें का निर्णय ले चुका है।
अभी तक माननीय वाजपेयी आयोग द्वारा कानून प्रावधानित रीति से बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। लेकिन जो *पूर्वाग्रह से प्रेरित कुंठित* लोग हैं , वे चिढ़े–कूढ़े हुए हैं।
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