ssnews कहावत तो सुने ही होंगे आप कि शासकीय सम्पति सरकारी होती ,परन्तु राजस्व अधिकारीयो ने इसे निजी साबित कर बेचने में कर रहे हैं दलालो की मदद, पैसा है तो सब जायज है राजस्व विभाग चाहे तो सरकारी को निजी या निजी को सरकारी बनाना उसका बाए हाथ का खेल,,,
00पटवारी ने उच्च अधिकारियों के आदेश पर जब ऑनलाइन जमीन को दर्ज किया तो क्यो नही लिखा की यह जमीन ब्रिकी नही हो सकता है मतलब साफ है कि गुलाबी रंग ने यह सब गड़बड़ करवा दिया जिसके कारण ही घास जमीन बिक्री हो गया
00 आजकल मस्तूरी तहसील के क्षेत्र में नया धंधा चालू हो गया है अधिकारियों के सहयोग से कहि भी हो सरकारी जमीन तो वह जमीन किसी रसूखदार के पास हो जाता है।
00 जब दलाल हुए सक्रिय तो पटवारी ने किया है सारा खेल तभी तो पास हुआ घास जमीन का खेल
00 पूर्व में भी कूटरचना कर भदोरो में कई एकड़ जमीन बिक गया जो पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध प्राप्त किया था उसके बाद भुरकुंडा में भी कोटवार ने अपना नाम पर करवा कर भी बेच दिया इस तरह के कई मामले हैं जो आज भी कोटवारी जमीन को खरीद कर अपने कब्जे में रखे हुए हैं कई रसूखदार लोग अधिकारियों को सब पता है फिर भी गुलाबी मिठाई के डिब्बों ने मुँह पर ताला लगा दिया है अधिकारियों ने अपने आँख बंद कर बैठे हुए हैं वही कोई गरीब लोगों के द्वारा कर लिया जाए तुंरत जेल भी चला जाता है गरीबो के लिए ही सारा नियम
00आखिर क्यो एसडीएम ने आदेश जारी करते हुए उसमें नही लिखा कि यह जमीन बिक्री योग्य नहीं है, एसडीएम भी कही अपना मुँह मीठा तो नही कर लिया।
स्वराज संदेश रायपुर।बिलासपुर जिले के मस्तूरी तहसील कार्यालय में चाहे अवैध प्लाटिंग का खेल हो या फिर शासकीय जमीनों पर कब्जा जोरों पर है जमीन की आसमान छूती कीमतों में धन जमीन दलालो और कुछ अधिकारियों को बड़ा मुनाफा हो रहा है भू माफिया राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी पंजीयक कार्यालय और उनको राजनीतिक संरक्षण देने वालों में किसानों की कृषि भूमियों पर भी बिना डायवर्शन कराए अवैध प्लाटिंग हो रही है । वही राजस्व विभाग के अधिकारी उस रास्ते से गुजर जाते परन्तु यह अवैध प्लाटिंग नजर नही आता आज हम बात कर रहे हैं मस्तूरी के ग्राम पंचायत मोहतरा का जहा घास छोटे जंगल की भूमि को फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कर दिया गया बताया जा रहा है ग्राम पंचायत मोहतरा पहन.31 तहसील मस्तूरी भूमि मूल खसरा नम्बर 7 रकबा जो कि 15 एकड़ के आसपास एकड़ जो वर्ष 1928-29 के मिशल बंदोबस्त में छोटे झाड़ के जंगल और घास मद में दर्ज चला आ रहा है जिसमे से मूल खसरा नम्बर 7 की भूमि को खसरा नम्बर 7/5 शामिल खसरा 22/3 रकबा 1.00 एकड राजस्व अभिलेख में दर्ज कराकर ग्राम मोहतरा निवासी अभिषेक कुमार पिता आशा राम, रथ बाई पति आशाराम ने छोटे झाड़ के जंगल और घास मद दर्ज भूमि लगभग 1 एकड़ भूमि को जांजगीर जिले के ग्राम ठठारी निवासी महिला श्रीमती प्रेमन चन्द्रा पति पीलादाउ चन्द्रा के पास बेच दिया गया जिसका रजिस्ट्री भी इसी माह में हो गया जिसकी शिकायत मोहतरा के सरपंच एवं ग्रामीणों ने मस्तूरी तहसील में नामांतरण और रजिस्ट्री में रोक लगाने के लिए शिकायत दर्ज किया है
अवैध ढंग से रजिस्ट्री की जा रही है पटवारी किसी भी जमीन का खसरा रकबा नंबर और जमीन का उपयोग दर्शाते हुए B1 नकल लेता जिसके आधार पर पंजीयक कार्यालय जमीन की रजिस्ट्री करता है और राजस्व के सक्षम अधिकारी इन जमीनों का नामांतरण करते हैं जमीन की खरीदी बिक्री में सरकारी कर्मचारी और अधिकारी की भूमिका महत्वपूर्ण है ऐसे में कोई भूमाफिया बिना इनके संलिप्तता की भू माफिया सरकारी जमीनों की रजिस्ट्री कैसे करवा लेता है पर जमीन की दलाली में सब के हित सध रहे हैं रहे हैं इसलिए दिखावे की कार्यवाही भी नहीं होती ना पटवारी पर न पंजीयक पर ना राजस्व के अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नही की जा रही है
पटवारी विजय कुमार साहु का कहना है कि जमीन का सिविल कोर्ट से विलुप्त करने का आदेश हुआ था और अपने उच्च अधिकारियों के निर्देश के आधार पर हमने काम किया है उच्च अधिकारियों का आदेश नहीं मानेंगे तो सस्बेंड होने का डर रहता हैं । वही पटवारी ने भी दबे जुबान स्वीकार किया है कि जो आदेश जारी हुआ है न्यायालय से वह गलत हुआ है और बिक्री किया है वह गलत तरीके से हुआ है।
रजिस्टार तिर्की
का कहना है कि हमने जो पटवारी रिकार्ड के आधार और बी वन में घास जमीन दर्ज नहीं होने के वजह से रजिस्ट्री हुआ है पटवारी के द्वारा बनाया गया रिकार्ड को मान्य होने के बाद ही रजिस्ट्री हुआ है।
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