ssnews जनपद पंचायत का अजब गजब कहानी कलेक्टर दर पर काम करने वाले बन गए हैं बाबू और नियमित कर्मचारी कर आराम,,

 जनपद पंचायत में कलेक्टर दर उर्फ दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी नियमित कर्मचारियो से अधिक शक्तिशाली।
मस्तूरी जनपद सीईओ को क्या नियमित कर्मचारीयों के कार्यों से संतूषटि नहीं।

जनपद पंचायत का अजब गजब कहानी कलेक्टर दर पर काम करने वाले बन गए हैं बाबू और नियमित कर्मचारी कर आराम 

विशेष सूत्र बताते हैं कि एक  ऐसा भी कर्मचारी है जिसके ऊपर लग चुका है फर्जीवाड़े का आरोप जो जनपद सीईओ के बगल में बैठ कर करता है काम आखिर ऐसे दागी को क्यू रखा हुआ है जनपद सीईओ 

स्वराज संदेश मस्तूरी ।  जनपद पंचायत मस्तूरी मे कलेक्टर दर पर काम करना आज लाभ का पद साबित हो रहा है , कारण है कि आज हर ताकतवर जनप्रतिनिधी अपने परीचितो को कलेक्टर दर और दूसरे शब्दो मे दैनिक वेतन पर रख कर जनपद पंचायत को उपकृत किया जा रहा है । उपकृत इसलिए कि आज  मस्तुरी , जनपद मे इन्ही कलेक्टर दर पर काम करने वाले कर्मचारी ही शासन की विभिन्न योजनाओ का कार्यभार संभाले हुए है, और अनुभवी और नियमित कर्मचारी और अधिकारी सेवानिवृत्ति की राह देखते हुए आराम फरमा रहे है । जनपद पंचायतो के सेटअप अनुसार स्वीकृत पद पर भर्ती न होने पर जनपद पंचायत रिक्त पद के विरुद्ध कलेक्टर दर पर कर्मचारियो की भर्ती कर सकता है । कलेक्टर दर पर भर्ती के लिए कलेक्टर से अनुमोदन कराना पड़ता है और यह प्रकिया प्रतिवर्ष होती है । कलेक्टर दर पर काम करने वाले कर्मचारियो को प्रतिदिन चार सौ रुपये मानदेय दिया जाता है और इन कर्मचारियो को शासन की महत्तवपूर्ण योजनाओ को नही दिया जाना चाहिए लेकिन आज , मस्तूरी  जनपद पंचायतो के ये कर्मचारी न केवल कलेक्टर दर से तीन गुना ज्यादा  मानदेय पा रहे है बल्कि जनप्रतिनिधियो के करीबी होने के कारण शासन की महत्वपूर्ण योजनाओ को देख रहे है। अब प्रश्न यह कि ये दैनिक वेतन भोगी जो स्वयं को कलेक्टर दर के कर्मचारी कहते है , शासन की राशि का यदि गबन करते है तो शासन कैसे इनसे राशि वसुल करेगी । नियमित कर्मचारियो से तो शासन वसुल कर लेती है पर क्या दैनिक वेतन भोगियो से यह संभव है और अगर संभव नही है तो इन दैनिक वेतन भोगियो को महत्वपूर्ण विभागो को सौपने का मतलब क्या यह भी माना जाये कि ये दैनिक वेतनभोगी अपने नियोक्ता के हर सही-गलत पर अपनी सहमति देते है जो नियमित कर्मचारी अपनी कलम फंसने के डर से नही देते और गबन मे इन्ही दैनिक वेतनभोगियो को फ़ंसा कर बर्खास्त करना आसान होता है और इनसे वसुली भी संभव नही है ।
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