ssnews बलौदाबाजार कांड में फंसे निर्दोषों को न्याय दिलाने एवं असली दोषियों को सजा दिलाने के लिए BKLHD को साथ-सहयोग देने का किया अपील
*गुरुघासीदास सेवादार संघ [GSS]* द्वारा गठित - संचालित डेस्क *BKLHD* समस्त खास व आमजनों से अपील करता है कि, *बलौदाबाजार कांड में फंसे निर्दोषों को न्याय दिलाने* एवं असली *दोषियों को सजा* दिलाने के लिए BKLHD को साथ-सहयोग देने का कष्ट करें।
स्वराज संदेश बिलासपुर। गुरु घासीदास सेवादार संघ GSS इस काज के लिए ,उत्पीड़ित जन समुदाय के बीच कई मामलों पर काम किए हुए *अनुभवी विधिक सलाहकारों /एडव्होकेट की सुप्रसिद्ध संस्था " जनहित "* के स्वयंसेवी सहयोग से मैदानी व अदालती स्तर पर काम कर रहे हैं ।
हम,बलौदाबाजार कांड में फसें निर्दोषों / परिजनों/हितैषियों से अपील करते है कि, वह निडरता से अपनी *समस्याओं से अवगत कराएँ।* हम उन्हें उचित कानूनी सहायता प्रदान करेंगे।
GSS द्वारा दो बार [ *एक बार बलौदाबाजार कांड के पूर्व एवं दूसरी बार बलौदाबाजार के बाद]* की घटनाओं पर प्रत्यक्ष दर्शियों -पीड़ित परिवार से मिलकर फैक्ट फाइंडिंग [ *FF* ] किया है।
FF रिपोर्ट से यह ज्ञात हुआ है कि, जो जेलों में बंद है, उनमें प्रथमदृष्टया निम्न तीन प्रकार के गिरफ्तार लोगों की जानकारी मिली है :-
1. *जो* - किसी भी तरह से उस संदर्भित कार्यक्रम के सहभागी नहीं थे , वे हंगामा - आपाधापी - अन्यत्र आवाजाही में फंस गए।
2. *जो* - किसी हंगामा - बवाल करने के लिए नहीं, बल्कि [ *शांतिपूर्ण संवैधानिक कानून के अधिकार के तहत* सभा - समर्थन जनांदोलन करना *जनाधिकार* है, आगजनी - तोड़फोड़ करना *अपराध है]* सभा-सम्मेलन मुद्दा पर साथ देने में शामिल होने गए थे। *[सभा में शामिल होना जनाधिकार है]* वे सभा स्थल दशहरा मैदान तक रहे, कलेक्ट्रेट की ओर आगे जाकर किसी गैरकानूनी गतिविधियों आगजनी - तोड़फोड़ में भाग नहीं लिए हैं। फिर भी गिरफ्तार किया गया है।
3. *जो* - पूरी तरह से हंगामा - हिंसा करने की *षडयांत्रिक मानसिकता* से लैस होकर आए थे और जो बलौदाबाजार कांड के पूर्व समय से, तात्कालिक समय में और अब भी प्रत्यक्ष - अप्रत्यक्ष वे उकसावा पूर्ण - *नफरती भाषणकर्ता, इंतजामकर्ता* हो या सीधे उपद्रव व बवाल में शामिल हुए हैं।
उक्त तीनों प्रकार के *1 व 2* प्रकार के लोगों को ही ,हम *साथ - सहयोग* देंगे और तीसरे प्रकार के लोगों को *सख्त सजा दिलाने* का प्रयास करेंगे।
तीसरे प्रकार के लोग बहुत शातिर हैं। इनमें से कुछ की गिरफ्तरी भी हुई है और इनके कुछ सरगना सफ़ेदपोश बने ज्ञान बघार रहे हैं और लोगों को लोकतांत्रिक न्यायिक प्रक्रिया में भाग लेने के बजाय अब भी उकसावापूर्ण बयान दे रहे हैं। और अंदर ही अंदर अपने बचाव के लिए सत्ताधीशों के भी तलुआ चाट रहे हैं।
वे अपने बचाव में उक्त एक व दो प्रकार के लोगों को अब तक कानूनी रूप से किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं करने दे रहे हैं। वे यहां भी यह ज्ञान व आदेश झाड़ रहे हैं कि, कहीं कुछ न करो हम लोग सब ठिक कर देंगे।
आज के युवाओं को यह याद नही होगा कि, ई .2008 के बोड़सरा बाड़ा बवाल में भी सतनामियों के ठेकेदारों ने यह ज्ञान आदेश फरमाया था कि ,कहीं कुछ नहीं करना है, *जमानत नहीं लेना है,* " हमारे जगतगुरू सबको रिहा करा देंगे"
और ऐसा ही हुआ । आम लोगों ने मान्य कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं कर, *गुरू आदेश को मानते जेल में पड़े रहे* और उधर जगतगुरु,अपना *जमानत करा कर* रिहा हो गए । तब लोगों को होश आया और अपने घर दुवार को गिरवी/ बिक्री कर जमानत आदि प्रक्रिया में भाग लिए।
शातिर अपराधी की प्रवृत्ति होती है कि, वे अपने *अपराध को छिपाने समाज–समाज चिल्लाते हैं।* और वास्तविक जीवन में वे समाज के नाम पर *शोषण लूट–ठगी , राजनैतिक सौदेबाजी* के सिवाय कुछ नहीं करते हैं। इसलिए वे चालाकी से ये कहते हैं कि, समस्त निर्दोषों को रिहा करो।
अब यह समझने की बात है कि, अभी तक पकड़ाए करीब 178 लोगों में ,उनके हिसाब से सभी निर्दोष हैं *?* जब वे इतने परफेक्ट जानकार हैं , तो दोषी कौन है, यह भी जानते होंगे ,तो वे दोषियों के नाम बताते क्यों नहीं हैं ?
हमारा मानना है कि, इन 178 में कितने निर्दोष व कितने दोषी हैं , यह जांच प्रमाण से पुष्ट होगा।
GSS का मानना है कि, जो लोग बलौदाबाजार कांड के पूर्व से लेकर कांड होने तक खुलेआम भड़काऊ–नफरती भाषण झाड़ रहे थे [ऑफलाइन एवं ऑनलाइन] विडियो में आगजनी तोड़फोड़ करते हुए जिनके श्रीमुख के दर्शन हो रहे हैं । जो प्रकट सार्वजानिक रूप से दिख रहा है ।इनमें से कई अब भी लोगों के बीच संदिग्ध गतिविधियों में संलग्न जान पड़ते हैं ।वे गिरफ्त से बाहर हैं । कुछ वे लोग जो इस कांड के पृष्ठभूमि में कई दिनों से कर्णधार बने चकरघिन्नी बने घूमते रहे हैं। वे अपने बचाव में 10 तारीख को बिहार में धर्म चक्र के चक्रधारी बने होने का प्रमाण (?) दिखा रहे हैं।
*क्या?ऐसे तमाम लोग निर्दोष हो सकते हैं ?* वे निर्दोष नहीं,बल्कि सार्वजनिक संपत्ति को जलाने आगजनी तोड़-फोड़ करने के साथ आम सतनामियों को बदनामी,कष्ट में डालने,शांतिपूर्ण कानून को भंग करने ,वाजिब जन आंदोलन को भविष्य में संका में,सतनामियों को ठगने के अपराधी हैं।
अतएव हम उन लोगों से अपील करते हैं ,जो किसी अपराधी को *जाति से नहीं कर्म से जानें–पहचाने* *अपराधी बचना नहीं* चाहिए और *निर्दोष फसना नहीं* चाहिए। वे *सतनामी* हो या *गैर सतनामी*। धन्यवाद!
*लखन सुबोध*
[ GSS केंद्रीय संयोजक ]
(अजय अनंत GSS ऑफिस सचिव, मो.नं. -9755149057)
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