ssnewsछत्तीसगढ़ हर्बल संजीवनी की 120 से अधिक प्रकार के उत्पादों का किया जा रहा है ,विक्रय राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा 6 करोड़ रूपये राशि के हर्बल उत्पाद विक्रय का लक्ष्य,,,

छत्तीसगढ़ हर्बल संजीवनी रायपुर में 
120 से अधिक प्रकार के उत्पादों का किया जा रहा है विक्रय
राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा 
6 करोड़ रूपये राशि के हर्बल उत्पाद विक्रय का लक्ष्य

स्वराज संदेश रायपुर।  छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा वनोपज आधारित प्रसंस्करण केन्द्रों के माध्यम से लगभग 120 प्रकार के हर्बल उत्पादों का निर्माण स्व-सहायता समूहों के माध्यम से किया जा रहा है। जिसका मार्केंटिग एवं विक्रय कार्य संजीवनी हर्बल विक्रय केन्द्र में किया जाता है। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के समस्त जिलों में स्व सहायता समूहों से तैयार उत्पादों का विक्रय भी छत्तीसगढ़ हर्बल ब्राण्ड से इन उत्पादों के मार्केंटिंग एवं विक्रय का कार्य छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा राजधानी रायपुर के छत्तीसढ़ हर्बल संजीवनी विक्रय केन्द्र के माध्यम से किया जा रहा है। रायपुर के कलेक्टारेट के समीप जी.ई रोड में ‘संजीवनी’ में राज्य के विभिन्न जिलों के निर्मित प्रमुख उत्पाद विक्रय हेतु उपलब्ध है। 

 राज्य के विभिन्न वनमण्डलों, जिला यूनियनों के स्व-सहायता समूहों के माध्यम से निर्मित प्रमुख उत्पादों द्वारा निर्मित उत्पादों का विक्रय यहां किया जा रहा है। इससे छत्तीसगढ़ के वन उत्पादों के मार्केंटिंग एवं विक्रय कार्य में बढ़ावा मिला है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा वर्ष 2021-22 के लिए 6 करोड़ रूपये राशि का हर्बल उत्पाद विक्रय का लक्ष्य रखा गया है।

 वनमण्डल अधिकारी रायपुर  विश्वेष कुमार ने बताया कि संजीवनी विक्रय केन्द्र, रायपुर में राज्य के विभिन्न जिलों के निर्मित प्रमुख उत्पाद जैसे जगदलपुर जिला का काजू, चिरौजीं, महुआ तेल, ईमली चपाती, कैंडी, कोण्डागांव जिला का ईमली चपाती, नारायणपुर का फूल झाड़ू एवं कांकेर का महुआ लड्डू शामिल है। इसी तरह भानुप्रतापपुर जिला का शहद, धमतरी जिला का तिखुर, शहद, हवन सामग्री, धूप बत्ती, नीम तेल व मालकागनी तेल, गरियाबंद जिला का महाविषगर्भ तेल, भृंगराज तेल, स्र्व ज्वर हर चूर्ण और अश्वगंधा चूर्ण तथा बलौदाबाजार का आंवला जूस, बेल जूस, जामुन जूस, आंवला कैंडी एवं आंवला मुरब्बा, आंवला अचार शामिल है।

 यहां बिलासपुर जिला का शहद, कटघोरा का मधुमेहनाशक चूर्ण, त्रिफला चूर्ण, शतावरी चूर्ण, अश्वगंधा चूर्ण, मरवाही जिला का सफेद मुसली चूर्ण, काली मुसली चूर्ण, गिलाय चूर्ण तथा कोरबा जिला का चिरौंजी, लाख उत्पाद, जशपुर जिला का च्यवनप्राश, सैनेटाइजर, वसाअवलह, धरमजयगढ़ का सबई टोकरी एवं अम्बिकापुर का माहुल दोना, पत्तल, राजनांदगांव जिला का महुआ आरटीएस, महुआ स्कैस, महुआ अचार, महुआ लड्डू, कवर्धा जिला का शहद तथा बालोद जिले के महुआ चटनी, महुआ अचार उत्पाद आदि भी शामिल है।

 वनमण्डल अधिकारी ने बताया कि इन उत्पादों के अतिरिक्त लगभग 75 प्रकार के अन्य उत्पादों का भी निर्माण कर संजीवनी रायपुर के माध्यम से विक्रय किया जाता है। वर्तमान में इस केन्द्र के माध्यम से प्रतिमाह लगभग 6 लाख रूपये के हर्बल उत्पादों का विक्रय किया जा रहा है।
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